यूक्रेन पर रूस के हमले का असर भारत की अर्थव्यवस्था पर कैसे हो सकता है, 5-प्वाइंट में समझें

मुख्य समाचार, व्यापार

LAST UPDATED : 

नई दिल्ली. यूक्रेन पर रूस के हमले (Russia Attack on Ukraine) जारी हैं. खबरें हैं कि गुरुवार से शुक्रवार के बीच रूस ने यूक्रेन पर 203 बार हमले किए. इन हमलों के बाबत रूस का दावा है कि उसने यूक्रेन के 70 से अधिक महत्त्वपूर्ण ठिकानों को तबाह कर दिया है. जाहिर तौर पर इससे दुनिया भर में तनाव बढ़ रहा है. क्योंकि कोरोना महामारी (Corona Pandemic) से जंग लड़ रही दुनिया इस दूसरी लड़ाई, जो बड़ी और गंभीर भी हो सकती है, के झटके को बर्दाश्त करने की स्थिति में नहीं है. यही वजह है कि भारत सहित तमाम देश रूस को बातचीत के जरिए समझाने के लिए सक्रिय हुए हैं.

बताया जाता है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने इस संबंध में रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन (Russian President Vladimir Putin) से बात की है. वहीं, भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर (Indian Foreign Minister S Jaishankar) भी पोलैंड, रोमानिया, स्लोवाकिया, हंगरी जैसे रूस के नजदीकी देशों के अपने समकक्षों से बातचीत करने वाले हैं. हालांकि इन प्रयासों का क्या नतीजा निकलेगा, वह तो बाद में सामने आएगा. लेकिन रूस-यूक्रेन संघर्ष (Russia-Ukraine Conflict) के कुछ नतीजे तुरंत सामने आने लगे हैं. खास तौर पर आर्थिक मोर्चे पर. और अगर जंग लंबी चली तो कई और गंभीर आर्थिक परिणाम दुनिया को भुगतने पड़ सकते हैं.

स्वाभाविक तौर पर भारत (India) पर भी इसका समान असर होना है, होना शुरू भी हो चुका है. यहां इसी को 5-प्वाइंट (5-Points Expliner) में समझते हैं.

वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला के सबसे अहम मार्ग बाधित
यूक्रेन (Ukraine) एशिया और यूरोप के बीच व्यापारिक यातायात का प्रमुख केंद्र (Trade Transit Point) है. मतलब इन दोनों क्षेत्रों में विभिन्न उत्पादों का आयात-निर्यात (Export-Import) यूक्रेन के रास्ते से होता है. यही नहीं रूस और यूक्रेन (Russia and Ukraine) खुद भी कई प्रमुख उत्पादों की आपूर्ति यूरोप और एशिया को करते हैं. तात्कालिक रूप से रूस और यूक्रेन से या फिर वहां के रास्तों से होने वाला आयात-निर्यात ठप हो गया है. इसका असर सीधे तौर पर उत्पादों की वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला (Global Supply Chain of Commodities) पर पड़ा है.

रूस और यूक्रेन से खाद्यान्न निर्यात भी प्रभावित

सीएनबीसी (CNBC) की एक रिपोर्ट के मुताबिक, दुनियाभर में निर्यात किए जाने वाले गेहूं का करीब 29% हिस्सा रूस और यूक्रेन (Russia and Ukraine) से आता है. लगभग यही स्थिति मक्के की है. बल्कि चीन (China) जैसे रूस के प्रमुख सहयोगी को तो 2021 में सबसे अधिक मक्के का निर्यात यूक्रेन से ही हुआ था. इतना ही नहीं, यूरोप के तमाम देश गेहूं, जौ और राई की आपूर्ति के लिए यूक्रेन पर निर्भर हैं. क्योंकि वह इन तीनों खाद्यान्नों का प्रमुख उत्पादक है. अपनी इस स्थिति के कारण यूक्रेन को ‘यूरोप की ब्रेडबास्केट’ (Breadbasket of Europe) तक कहा जाता है.

 

Leave a Reply