श्वेता देवेन्द्र के भरत नाट्यम के साथ शुरू हुआ विश्वरंग महोत्सव 2020 का आठवां दिन

मध्य प्रदेश, मनोरंजन, मुख्य समाचार

भोपाल, नवंबर 28,

  • मंगलाचरण कार्यक्रम में श्वेता देवेन्द्र के शानदार भरत नाट्यम नृत्य की प्रस्तुति
  • कोविड के बाद की दुनिया कार्यक्रम में उद्यमिता के भविष्य पर हुई चर्चा
  • इकबाल के साथ जोड़कर टैगौर को पढ़ें तो उन्हें बेहतर समझा जा सकता हैः इंद्रनाथ चौधरी

हिंदी और भारत की अन्य क्षेत्रीय भाषाओं में रचित साहित्य और कला को नई पहचान दिलाने के लिए आयोजित किया जाने वाले ‘टैगोर अंतर्राष्ट्रीय साहित्य एवं कला महोत्सव’ (विश्वरंग) के आठवें दिन की शुरुआत श्वेता देवेन्द्र के भरत नाट्यम के साथ हुई। इस सत्र का संचालन विनय उपाध्याय ने किया। दिन के पहले सत्र में मंगलाचरण कार्यक्रम में श्वेता देवेन्द्र ने शानदार भरत नाट्यम नृत्य की प्रस्तुति की।

कोविड के बाद की दुनिया कार्यक्रम में उद्यमिता के भविष्य पर चर्चा हुई। कोरोना के कारण उद्यमिता से जुड़े क्षेत्र में क्या बदलाव आए हैं और उनसे निपटकर कैसे एक सफल उद्मी बना जा सकता है। इस विषय पर दिन के दूसरे सत्र में चर्चा हुई। सत्र का संचालन विनय उपाध्याय ने किया, जबकि रोनाल्ड फर्नांडिस ने मध्यस्थ की भूमिका अदा की। प्रो. सत्यजीत मजूमदार, अनिल जोशी और अंकित माछर इस सत्र के मेहमान रहे, जिन्होंने उद्यमिता पर कोविड के प्रभावों को लेकर चर्चा की और इससे निपटने के तरीके भी बताए।

कोविड के बाद की दुनिया में उद्यमिता के भविष्य पर चर्चा के बाद डॉ. सीमा रायजादा ने चित्रा बैनर्जी दिवाकरुणी से संवाद किया। विश्वरंग के सहनिदेशक सिद्धार्थ चतुर्वेदी भी इस सत्र का हिस्सा बने और लेखक चित्रा बनर्जी का विश्वरंग में स्वागत किया। अपनी यात्रा के बारे में बताते हुए चित्रा ने बताया कि उन्होंने 25 साल की उम्र तक सोचा भी नहीं था कि वो एक लेखक बनेंगी, लेकिन अमेरिका जाने के बाद लेखन उनके जीवन का एक अहम हिस्सा बन गया। उन्होंने अपनी यादें संजोने के लिए लेखन शुरू किया था। उन्होंने कविता के साथ शुरुआत की फिर कहानियां लिखी और अंत में उपन्यास लिखना शुरू किया, जिसके लिए उन्हें जाना जाता है। इस बीच लेखक से मिलिए कार्यक्रम में महेश दर्पण ने जानकी प्रसाद शर्मा से बातचीत की। जीतेन्द्र श्रीवास्तव, अरुण होता,प्रेम जन्मेजय, मनोज श्रीवास्तव और महेन्द्र गगन भी इस कार्यक्रम का हिस्सा बने। इसके बाद विश्वरंग हॉलैंड फिल्म का प्रदर्शन भी हुआ।

अगले सत्र में टैगौर, इकबाल और फैज पर गहन चर्चा हुई। यह सत्र पिछले संस्करण की यादों के तौर पर इस साल के संस्करण में शामिल हुआ। इस सत्र का संचालन लीलाधर मंडलोई ने किया था, जिसमें डॉ. धनंजय वर्मा, मृदुला गर्ग और इंद्रनाथ चौधरी शामिल हुए थे। कार्यक्रम के दौरान टैगोर के ऊपर बोलेत हुए इंद्रनाथ चौधरी ने कहा कि टैगोर के साहित्य, विचार और उनके कार्यों पर लगातार बात होती है, पर यदि इकबाल के साथ जोड़कर इन सभी विषयों पर बात की जाए तो हम बेहतर तरीके से टैगोर और उनके विचारों को समझ सकेंगे।

टैगोर, इकबाल और फैज पर चर्चा के बाद प्रवासी भारतीयों के लिए कविता सत्र का आयोजन किया गया, जिसमें कई बड़े कवियों ने शिरकत की। रेखा राजवंशी, रेखा मैत्र, पुष्पिता अवस्थी, रामा तक्षक, अशोक सिंह, भावना कुंवर, संजय अग्निहोत्री और उमेश ताम्बी ने अपनी कविताओं से सभी श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया।

कार्यक्रम में आगे अपनी चौपाल- कुछ अनकही कहानियां कार्यक्रम में सत्य व्यास, दिव्य प्रकाश दुबे, इला जोशी, नितिन वत्स और सुदीप सोहनी शामिल हुए। इला जोशी और सुदीप सोहनी ने सत्र का संचालन किया, जिसमें कई अलग-अलग विषयों पर बातचीत हुई। सभी मेहमान वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए आपस में जुड़े थे और संवाद किया। कार्यक्रम के दौरान सभी मेहमानों ने कई पुरानी यादें ताजा की। अपनी चौपाल कार्यक्रम के बाद विश्वरंग कैनेडा फिल्म का प्रदर्शन हुआ। सितार वादक सुजात खान के मनमोहक सितार वादन के साथ विश्वरंग महोत्सव का आठवां दिन समाप्त हुआ। शुजात खान ने अपने सितार वादन से सभी का दिल जीत लिया और विश्वरंग की यह शाम कायर्क्रम में शामिल हर व्यक्ति के लिए खास बन गई।

बाल साहित्य, कला और संगीत महोत्सव की झलकियां

देश के प्रसिद्ध पेरेंटिंग यू ट्यूब चैनल गेट सेट पेरेंट विद पल्लवी द्वारा विश्व रंग 2020 के अंतर्गत आयोजित पहले बाल साहित्य, कला और संगीत महोत्सव का छठवां दिन सलोमी पारेख की आर्ट वर्कशॉप के साथ शुरू हुआ। दिन के पहले सत्र में पल्लवीराव चतुर्वेदी ने सलोमी पारेख के साथ बाचतीच की। आर्ट वर्कशॉप पर आधारित इस कार्यक्रम का नाम मधुबनी आर्ट था, जो 4 साल से ज्यादा उम्र के बच्चों के लिए था। सलोमी पारेख ने कार्यक्रम की शुरुआत में उन्होंने मधुबनी आर्ट के बारे में बताया। मधुबनी आर्ट भारत की सबसे पुरानी कलाओं में से एक है, जिसकी उत्पत्ति बिहार के मधुबनी और नेपाल के कुछ हिस्सों में हुई थी। इसी वजह से इस कला को मिथिला आर्ट भी कहते हैं। कार्यक्रम में आगे टिंकल कॉमिक वर्कशॉप का आयोजन किया गया। अमर चित्रकथा पत्रिका के आर्ट डारेक्टर सैवियो मस्करेनहस ने इस कार्यक्रम में बच्चों को टिंकल टून सुपांडी बनाने का तरीका सिखाया। बाल साहित्य, कला और संगीत महोत्सव का छठवां दिन नंदिनी नायर की मजेदार कहानियों के साथ खत्म हुआ। दिन के आखिरी सत्र में पल्लवी चतुर्वेदी ने नंदिनी नायर के साथ बातचीत की। बच्चों के लिए 50 से ज्यादा किताबें लिखने वाली नंदिनी ने बताया कि बच्चों के लिए किताबें बहुत ही जरूरी होती हैं, पर कुछ ही लेखकों ने इस विधा में काम किया है। इसी बात ने उन्हें बच्चों के लिए लिखने की प्रेरणा दी। उन्हें बचपन से ही लिखने का शौक था और कॉलेज के दिनों में उन्होंने अपनी कहानियों के लिए कुछ पुरस्कार भी जीते थे, लेकिन मां बनने के बाद उन्होंने पूरी तरह से बच्चों के लिए लिखने का काम शुरू किया।

 

 

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