Gyanvapi Mosque: मुस्लिम पक्षकार और संत समाज के बीच टकराव क्यों ?

मुख्य समाचार, राष्ट्रीय

Updated : 06 May 2022 ,

Varanasi Gyanvapi Mosque Premises Survey: उत्तर प्रदेश में वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद परिसर की वीडियोग्राफी और सर्वे का काम आज से शुरू हो रहा है. ये काम वाराणसी सिविल कोर्ट के आदेश के बाद किया जा रहा है. ज्ञानवापी मस्जिद वाराणासी के काशी विश्वनाथ मंदिर से सटी हुई है. आज मस्जिद के परिसर की वीडियोग्राफी होनी है. ज्ञानवापी मस्जिद परिसर का सर्वे आज दोपहर 3 बजे से होगा. इस पूरे सर्वे में तीन से चार दिन लगने का अनुमान है. इस दौरान वीडियोग्राफी और फ़ोटोग्राफ़ी भी होगी. वाराणसी में ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में अब ये सर्वे हो क्यों रहा है, ये समझने की कोशिश करते हैं.

ज्ञानवापी मस्जिद का सर्वे क्यों?

दरअसल कोर्ट में पांच महिलाओं रेखा पाठक, सीता साहू, लक्ष्मी देवी और मंजू व्यास और राखी सिंह ने एक याचिका दायर की थी. पाचों याचिकाकर्ता महिलाओं ने कोर्ट से ऋंगार गौरी मंदिर में रोज़ाना पूजा अर्चना की अनुमति दिए जाने की अपील की थी. कोर्ट से इजाजत की जरूरत इसलिए पड़ी क्योंकि श्रृंगार गौरी का मंदिर ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में मौजूद है और मस्जिद की दीवार से सटा हुआ है. पिछले साल 18 अगस्त को कोर्ट में याचिका दायर की गई थी. 26 अप्रैल को वाराणसी सिविल कोर्ट का आदेश आया. आदेश में एक कमीशन नियुक्त किया गया और इस कमीशन को 6 और 7 मई को दोनों पक्षों की मौजूदगी में श्रृंगार गौरी की वीडियोग्राफी के आदेश दिए गए और 10 मई तक अदालत ने इसे लेकर पूरी जानकारी मांगी है.

मुस्लिम और हिंदू पक्ष के बीच टकराव क्यों?

वाराणसी कोर्ट के आदेश के बाद ज्ञानवापी मस्जिद का सर्वे तो आज होने जा रहा है, लेकिन इसको लेकर मुस्लिम पक्षकार और संत समाज दोनों पक्षों में टकराव की नौबत आ गई है. वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद को लेकर हिंदू पक्ष की दलील है कि मंदिर तोड़कर ही मस्जिद बनाई गई है, इसलिए उन्हें श्रृंगार गौरी मंदिर में पूजा का हक मिलना चाहिए. वहीं ज्ञानवापी मस्जिद प्रबंधन कमेटी कोर्ट के आदेश के खिलाफ खड़ी है.

अंजुमन इंतजामियां मस्जिद के ज्वाइंट सेक्रेट्री एस एन यासीन ने कहा कि जब कानून बना है कि इस दायरे के अंदर सिर्फ मुसलमान आ सकते हैं या सुरक्षाकर्मी तो क्या उस कानून को छोड़ दिया जाए. कानून के दायरे में रहकर किसी को अंदर आने नहीं दिया जाएगा. मस्जिद कमेटी के मुताबिक अगर वीडियोग्राफी करवाई जाएगी तो मस्जिद की सुरक्षा से समझौता होगा और ऐसा वो होने नहीं देंगे जबकि संत समिति इसे जिद बताते हुए कह रही है कि वीडियोग्राफी का विरोध इसलिए किया जा रहा है क्योंकि मंदिर के स्पष्ट प्रमाण सामने आ जाएंगे.

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