फिर मिलेंगे के भाव के साथ विश्वरंग महोत्सव 2020 का समापन

मध्य प्रदेश, मुख्य समाचार

भोपाल, 30 नवंबर 2020 ,

  • विश्वरंग महोत्सव 2020 में आयोजित हुए 200 से ज्यादा ऑनलाइन सत्र
  • 16 देशों से एक हजार से ज्यादा कलाकार महोत्सव शामिल हुए
  • कविश सेठ की कविताओं में दिखा आज के दौर का नया भारत
  • शिलॉन्ग चैम्बर चॉयर बैंड की सुरीली शाम के साथ खत्म हुआ दिन

हिंदी और भारत की अन्य क्षेत्रीय भाषाओं में रचित साहित्य और कला को नई पहचान दिलाने के लिए आयोजित किया जाने वाले ‘टैगोर अंतर्राष्ट्रीय साहित्य एवं कला महोत्सव’ (विश्वरंग) के आखिरी दिन की शुरुआत कविश सेठ के गायन के साथ हुई। दिन के पहले सत्र का संचालन पूजा शुक्ला ने किया। कविश सेठ ने विश्वरंग का आभार जताते हुए अपनी प्रस्तुति शुरू की। उन्होंने दुनिया के साथ मेरा देश बड़ा हुआ है, कविता सुनाई, जिसमें भारत के मौजूदा हाल का बयान था। इसके बाद उन्होंने न जाने कब से गीत सुनाकर सबका दिल जीत लिया।

अमीश त्रिपाठी के साथ बातचीत

सिद्धार्थ चतुर्वेदी और अमीष त्रिपाठी के बीच बातचीत।

विश्वरंग के सहनिदेशक सिद्धार्थ चतुर्वेदी ने जाने माने लेखक अमीष त्रिपाठी के साथ बातचीत की। आज के समय में अमीष त्रिपाठी भारतीय पौराणिक कथाओं के लेखन में बड़ा नाम हैं। 2019 में उन्हें भारत के सबसे प्रभावशाली लोगों की सूची में भी जगह मिली थी। उन्होंने अपनी पहली किताब 2010 में लिखी थी और अब तक उनकी 8 किताबें प्रकाशित हो चुकी हैं। अपनी यात्रा के बारे में बताते हुए उन्होंने कहा “कुछ लोग लेखक के रूप में पैदा होते हैं, कुछ लोग मेहनत करके लेखक बन जाते हैं और कुछ लोगों पर लेखन थोप दिया जाता है। मैं तीसरी श्रेणी का लेखक हूं।” उन्होंने आगे बताया कि लेखन के बारे में उन्होंने कभी नहीं सोचा था, हालांकि उन्हें पढ़ना बहुत पसंद था। उन्होंने खुद के लिए लिखना शुरू किया था और उस समय उन्हें कोई उम्मीद नहीं थी कि उनका लेखन लोगों को इतना पसंद आएगा। भगवत गीता से कृष्ण का संदेश याद करते हुए उन्होंने कहा कि वो भी उस समय सिर्फ काम करने पर ध्यान दे रहे थे, उन्हें फल की कोई चिंता नहीं थी। इसके बाद उन्होंने युवाओं को नासमझ कहने वालों को गलत  ठहराया और उनकी अहमियत भी समझाने की कोशिश की। अपने अनुभव साझा करते हुए उन्होंने बताया कि अक्सर उनसे बहुत ही बेहतरीन सवाल पूछे जाते हैं और उनमें से अधिकतर सवाल युवाओं के होते  हैं।

 

बातचीत के दौरान उन्होंने समझाया कि हर इंसान किसी के लिए अच्छा और किसी के लिए बुरा होता है। इस बात को समझाने के लिए उन्होंने हिटलर और चर्चिल का उदाहरण दिया। हिटलर को दुनिया बुरा कहती है, पर उसने किसी भारतीय को नहीं मारा। चर्चिल कई लोगों के लिए हीरो हैं, पर उन्होंने हजारों भारतीयों की हत्या की है। उन्होंने आगे बताया की सत्य क्या है यह सिर्फ शिव को पता है। इसके बाद उन्होंने कहा कि धर्म पंथ से कहीं ऊपर है। रामायण और महाभारत की वास्तविकता के सवाल पर उन्होंने कहा कि रामायण और महाभारत वास्तविक घटनाएं हैं। उनसे जुड़ी कुछ कहानियां अतिश्योक्ति हो सकती हैं, पर ये घटनाएं इतिहास में घटित हुई हैं। सत्र के अंत में उन्होंने अनुवाद के महत्व पर बोलते हुए बताया कि आने वाले समय में अनुवाद के जरिए चीजें और आसान होने वाली हैं। उनकी सभी पुस्तकों का एक से अधिक भाषाओं में अनुवाद हो चुका है। आगे इसका महत्व और भी बढ़ेगा तथा लोगों को ज्ञान प्राप्त करने में सुविधा होगी।

 

कविता सत्र

अमीष त्रिपाठी के साथ बातचीत के बाद विश्व कविता सत्र का आयोजन हुआ। इस सत्र का संचालन विनय उपाध्याय ने किया। इस कार्यक्रम में मैसेडोनिया के निकोला माजदिरोव, यूके से हॉली, इटली से विलोरियो मागरेलि, श्रीलंका से शिरानी राजपकसे और भारत के रॉकी गर्ग शामिल हुए। इन कवियों ने अंग्रेजी और मैसोडेनिया की भाषा की कविताएं पढ़ी। ये कविताएं हमें उन गलियों में ले जाती हैं, जहां हमें गालिब अनायास ही याद आ जाते हैं। इस दौरान अंग्रेजी और मैसोडेनिया की कविताओं  का अनुवाद भी सुनाया गया।

 

समापन समारोह की झलक

विश्वरंग के आखिरी दिन समापन सत्र का आयोजन किया गया, जिसमें विश्वरंग के दूसरे संस्करण के सुखद अनुभव एक बार फिर से हमारे दिमाग में तरोताजा हो गए। विश्वरंग अब सिर्फ भोपाल या भारत का सपना नहीं है, बल्कि अब यह पूरे विश्व का सपना बन चुका है। कथादेश के संपादक मुकेश वर्मा, विश्वरंग के सहनिदेशक सिद्धार्थ चतुर्वेदी, लीलाधर मंडलोई और विश्वरंग के निदेशक संतोष चौबे इस कार्यक्रम में शामिल हुए।

 

फिर मिलेंगे के भाव के साथ विश्वरंग 2020 महोत्सव का समापन हुआ। इस दौरान महोत्सव के निदेशक संतोष चौबे ने कहा कि विश्वरंग का यह समापन कोई समापन नहीं है, बल्कि यह एक अल्पविराम है। उन्होंने भरे दिल के साथ स्वीकार किया कि हम विश्वरंग के समापन सत्र में हैं। इसके साथ ही उन्होंने उम्मीद जताई कि अगले साल यह महोत्सव और भी हर्षोउल्लास के साथ मनाया जाएगा और पहले से ज्यादा सफल होगा। उन्होंने पूरे आईसेक्ट नेटवर्क की और से सभी का आभार प्रकट किया।

 

इस पूरे महोत्सव में 200 से ज्यादा सत्र आयोजित हुए। जिनका आयोजन दुनिया के 16 देशों में हुआ। इसमें एक हजार से ज्यादा कलाकारों ने भाग लिया। इस दौरान 70 किताबों का विमोचन हुआ। कोरोना ने जो अवसाद पूरे विश्व में फैलाया था उससे उबारने में इस महोत्सव का बड़ा योगदान है। इसके बाद संतोष चौबे ने उन सभी कलाकारों का शुक्रिया अदा किया, जिन्होंने ऐसे मुश्किल समय में सकारात्मक्ता फैलाई और उदासीनता भारे जीवन में रंगों का संचार किया। ऐसे लोगों की बदौलत ही यह महोत्सव सफल हुआ। विदेशों में हिंदी कार्यक्रम में शिक्षण पर चर्चा हुई, जिसमें यूरी बोत्विकिन, डॉ. इंद्रा गजियोवा, सिरजुद्दीन नर्मातोव, प्रो. सुब्रमणी और विश्वरंग के निदेशक संतोष चौबे शामिल हुए।

 

विज्ञान कथा कोश का विमोचन और कबीर कैफे की प्रस्तुति

कार्यक्रम में आगे विज्ञान कथा कोश का विमोचन हुआ। इस सत्र में संतोष चौबे और देवेन्द्र मेवाड़ी शामिल हुए। दोनों महानुभावों ने शुकदेव प्रसाद के विज्ञान नाटक गैलालियो का प्रदर्शन किया।  इसके बाद दास्तान गोई नाटक का मंचन हुआ। दास्तान गोई के बाद विज्ञान कविता कोश के विमोचन में विश्वरंग के निदेशक संतोष चौबे, लीलाधर मंडलोई, अनामिका, नरेश चंद्रकर, शार्दुला नोगजा शामिल हुए। इसके बाद अनूप भार्गव, सुचि मिश्रा, मोहन सगोरिया और बलराम गुमास्ता ने इन्हीं कविताओं का पाठ किया। कार्यक्रम के अंत में अमीर खुसरो और अरुण कमल की कविताओं का पाठ भी हुआ। कबीर कैफै बैंड की शानदार प्रस्तुति के साथ ‘टैगोर अंतर्राष्ट्रीय साहित्य एवं कला महोत्सव’ (विश्वरंग) 2020 का समापन हुआ।

 

बाल साहित्य, कला और संगीत महोत्सव की झलकियां

 

रोहिनी नीलकनी की स्टोरीटेलिंग

पल्लवी चतुर्वेदी और रोहणी नीलकानी के बीच वार्तालाप।

देश के प्रसिद्ध पेरेंटिंग यू ट्यूब चैनल गेट सेट पेरेंट विद पल्लवी द्वारा विश्व रंग 2020 के अंतर्गत आयोजित पहले बाल साहित्य, कला और संगीत महोत्सव का आखिरी दिन रोहिनी नीलकनी की स्टोरीटेलिंग के साथ शुरू हुआ। दिन के पहले सत्र में उन्होंने आसमान में रहने वाले छोटे राक्षस की भूख की कहानी सुनाकर बच्चों का मनोरंजन किया। इसके बाद उन्होंने पल्लवीराव चतुर्वेदी के साथ अपनी यात्रा पर बातचीत की। पल्लवीराव चतुर्वेदी के साथ बात करते हुए उन्होंने बताया कि आपका जन्म जिस घर में होता है, वह आपके करियर पर बड़ा प्रभाव डालता है।

 

आनंद नीलकांतन के साथ बातचीत

पल्लवी चतुर्वेदी और आनंद नीलकांतन के बीच वार्तालाप।

दिन के दूसरे सत्र में बाहूबली सीरीज और असुर कहानियों के लेखक आनंद नीलकांतन के साथ पल्लवीराव चतुर्वेदी ने बातचीत की। इस सत्र में अलग-अलग जगहों से कई बच्चे भी शामिल हुए। उन्होंने बहुत ही मजेदार अंदाज में खुद को असुर कहते हुए वार्तालाप की शुरुआत की। कार्यक्रम में उन्होंने सबसे पहले अपनी असुर कहानी सुनाकर सभी का मनोरंजन किया। इसके बाद बाहूबली के बारे में बताते हुए उन्होंने कहा कि बाहूबली फिल्म का पहला विचार विजेन्द्र प्रसाद के अंदर आया था। एस.एस राजमौली ने फिल्म का स्क्रीनप्ले लिखा और उन्हें बाहूबली की बैक स्टोरी लिखने का काम दिया गया था, जिसे उन्होंने कई भारतीय पौराणिक कहानियों के किरदारों से प्रेरित होकर लिखा था।

 

शिलॉन्ग चैम्बर कॉयर की प्रस्तुति

शिलॉन्ग चैम्बर चॉयर की प्रस्तुति

बाल साहित्य, कला और संगीत महोत्सव के आखिरी सत्र में शिलॉन्ग चैम्बर चॉयर ने शानदार संगीत की प्रस्तुति दी। इस सत्र की शुरुआत में पल्लवीराव चतुर्वेदी ने सभी सहयोगी संस्थाओं और लोगों का आभार जताया। शिलॉन्ग चैम्बर चॉयर बैंड ने बॉलीवुड और क्षेत्रीय गानों का अनोखा मेल प्रस्तुत किया। उन्होंने अपनी प्रस्तुति में भारतीय फिल्मों के गाने भी गाए और कई क्षेत्रीय गानों की प्रस्तुति भी दी। इसके साथ ही उन्होंने कई तरह के गानों के मेल से नए गाने भी बनाए और इस सुरीली शाम के साथ बाल साहित्य, कला और संगीत महोत्सव का समापन हुआ।

 

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