नगालैंड में अब बिना विपक्ष के चलेगी सरकार, सभी पार्टियों ने मिलाया हाथ

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कोहिमा. नगालैंड (Nagaland) में बड़ा सियासी बदलाव हुआ है. अब यहां बिना विपक्ष के सरकार चलेगी. दरअसल शनिवार को सत्ता पक्ष और सभी विपक्षी दलों ने हाथ मिला लिया. इस नए मोर्चे को अब यूनाइडेट डेमोक्रैटिक अलायंस (UDA) का नाम दिया गया है. राजधानी कोहिमा में नेशनलिस्ट डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी (एनडीपीपी), नगा पीपुल्स फ्रंट (एनपीएफ), बीजेपी और निर्दलीय समेत सभी विधायकों की बैठक बुलाई गई थी. नगालैंड के मुख्यमंत्री नेफियू रियो की अध्यक्षता में हुई बैठक में विपक्ष रहित सरकार अपनाने के लिए सर्वसम्मति से प्रस्ताव पास किया गया.

2018 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने एनडीपीपी के साथ मिलकर पीपुल्स डेमोक्रेटिक अलायंस के नाम पर सरकार बनाई थी, जबकि नगा पीपुल्स फ्रंट प्रमुख विपक्ष के तौर पर उभरी थी. नगा राजनीतिक मुद्दों से संबंधित लंबे समय से लंबित मांगों का समाधान तलाशने के लिए, पार्टियों द्वारा विधानसभा में एकजुट होने का निर्णय लिया गया. रियो मुख्यमंत्री पद पर बने रहेंगे. सरकार चलाने के लिए एक साझा न्यूनतम कार्यक्रम तैयार किया गया है.

सुलह की दिशा में प्रयास
बैठक के बाद कहा गया है कि सभी राजनीतिक दल एकता और सुलह की दिशा में प्रयास करेंगे और केंद सरकार से अनुरोध करेंगे कि सभी को स्वीकार्य सौहार्दपूर्ण समाधान जल्द से जल्द किया जाए. नगालैंड विधानसभा के हाल ही में संपन्न हुए सत्र में सर्वसम्मति से पांच सूत्री प्रस्ताव पारित किया गया है. 11 जून को, नगालैंड सरकार ने घोषणा की कि वे एक संसदीय समिति का गठन करेंगे, जिसमें राज्य के 60 विधायक और दो सांसद शामिल होंगे और उन्हें क्षेत्र में संकट को हल करने और सुविधाकर्ता की भूमिका निभाने का काम सौंपा जाएगा.

नगा शांति समझौता
बता दें कि नगालैंड में उग्रवाद को समाप्त करने के लिए भारत सरकार और एनएससीएन के बीच प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की मौजूदगी में 3 अगस्त 2015 को नगा शांति समझौते पर हस्ताक्षर किए गए थे. भारत सरकार की ओर से, नागालैंड के राज्यपाल आरएन रवि, एनएससीएन के अध्यक्ष इसाक चिशी स्वू, अध्यक्ष और महासचिव थुइंगलेंग मुइवा के साथ नागा शांति वार्ता के वार्ताकार भी थे. हालांकि रवि को अब तमिलनाडु का राज्यपाल बनाया गया है.

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