What is Monkey Fever: जानें क्या हैं ‘मंकी फीवर’ के लक्षण

मुख्य समाचार, लाइफस्टाइल, स्वास्थ्य

LAST UPDATED : 

नई दिल्ली. देश से कोरोना वायरस (Coronavirus) का खतरा अभी टला नहीं है. ऐसे में केरल में ‘मंकी फीवर’ की दस्तक ने चिंताएं बढ़ा दी हैं. राज्य के वायनाड जिले में 24 वर्षीय युवक इस बीमारी से ग्रस्त पाया गया है. स्वास्थ्य अधिकारियों ने इस बात की पुष्टि की है कि इस बीमारी का शिकार हुआ अब तक एक ही मरीज मिला है. मंकी फीवर को क्यासनुर फॉरेस्ट डिसीज (Kyasanur Forest disease) कहा जाता है.

जिला चिकित्सा अधिकारी डॉ.सकीना ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि स्वास्थ्य अधिकारियों ने पहले ही मौसमी बुखार को लेकर अलर्ट जारी किया था और स्थानीय लोगों से सतर्क रहने का आह्वान किया था. उन्होंने बताया कि मंकी फीवर से ग्रस्त युवक को मनंथवाडी चिकित्सा महाविद्यालय में भर्ती कराया गया है और वह डॉक्टरों की निगरानी में है. डॉ.सकीना ने बताया कि उसकी हालत स्थिर है और अब तक मंकी फीवर का कोई और मामला नहीं आया है.

सेंटर्स फॉर डिसीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन के अनुसार, KFD क्यासनुर फॉरेज डिसीज वायरस (KFDV) के कारण होता है. KFDV की पहचान 1957 में हुई थी, जब इसे कर्नाटक के क्यासनुर जंगल में एक बीमार बंदर से अलग किया गया था. तब 400-500 इंसानों में इस बीमारी के मामले हर साल दर्ज किए गए थे. हार्ड टिक्स KFD वायरस के भंडार की तरह होते हैं और एक बार संक्रमित होने के बाद यह जीवन भर बना रहता है. यह किसी संक्रमित जानवर के संपर्क में आने या टिक के काटने से हो सकता है.

क्या हैं इसके लक्षण?
सीडीसी के अनुसार, 3-8 दिनों के इंक्युबेशन पीरियड के बाद KFD के लक्षण ठंड, बुखार और सिरदर्द के साथ अचानक शुरू होते हैं. शुरुआती लक्षणों के 3-4 दिनों के बाद मांसपेशियों में तेज दर्द के साथ उल्टी, पेट संबंधी और खून बहने की समस्याएं हो सकती है. इसके अलावा मरीजों को असामान्य रूप से लो ब्लड प्रेशर, कम प्लेटलेट का सामना करना पड़ सकता है.

लक्षणों के 1-2 सप्ताह के बाद कुछ मरीज बगैर परेशानियों के उबर जाते हैं. हालांकि, यह बीमारी कुछ मरीजों (10-20 फीसदी) में दो चरणों में आती है और तीसरे सप्ताह की शुरुआत में वे दूसरी लहर का अनुभव कर सकते हैं. इस दौरान लक्षणों में बुखार, तेज सिरदर्द, मानसिक परेशानियां, कंपकंपी और देखने में परेशानी जैसी बातें शामिल हो सकती हैं. सीडीसी के मुताबिक, KFD में मृत्यु दर 3 से 5 फीसदी के बीच है.

सीडीसी का कहना है कि KFD का कोई खास इलाज नहीं है, लेकिन जल्दी अस्पताल में भर्ती होना और सपोर्टिव थेरेपी बहुत जरूरी है. सपोर्टिव थेरेपी में हाइड्रेशन का ध्यान रखना और ब्लीडिंग डिसऑर्डर वाले मरीजों में सामान्य सावधानियां शामिल हैं.

Leave a Reply