विकास दुबे के एनकाउंटर का वकील को पहले से था शक, सुप्रीम कोर्ट में डाली थी याचिका

मुख्य समाचार, राष्ट्रीय

LAST UPDATED: JULY 10, 2020,

यूपी का मोस्ट वॉन्टेड गैंगस्टर विकास दुबे आखिरकार उसी कानपुर में पुलिस की गोलियों का शिकार बन गया, जिस कानपुर से उसने खौफ का कारोबार किया. एसटीएफ की टीम उसे उज्जैन से लेकर कानपुर आ रही थी. इसी दौरान एसटीएफ की गाड़ी पलटती है और विकास दुबे पुलिस वालों के हथियार छीनकर भागने की कोशिश करता है. और इसी दौरान पुलिस जवाबी कार्रवाई करती है. जिसमें विकास दुबे मारा जाता है.

यूपी पुलिस और एसटीएफ की टीम ने शुक्रवार की सुबह कानपुर की सीमा के अंदर ही इस एनकाउंटर को अंजाम दिया. लेकिन अब इस मुठभेड़ को लेकर कई बड़े सवाल उठ रहे हैं, जिनके जवाब यूपी पुलिस को देने हैं.

1. कानपुर की सीमा में आने के बाद एसटीएफ के काफिले की गाड़ी का एक्सीडेंट कैसे हुआ?

2. एसटीएफ की गाड़ी कैसे पलटी? किन हालात में एक्सीडेंट हुआ?

3. क्या लगातार भागने वाला विकास दुबे इस हालत में था कि उसने एक्सीडेंट होते ही पुलिस के हथियार छीन लिए?

4. क्या एसटीएफ ने विकास दुबे को लाते समय सावधानी नहीं बरती, जो उसने पुलिस से भिड़ने की हिम्मत जुटाई?

5. विकास दुबे ने पहले पुलिस पर फायर किए या पुलिस ने उसे रोकने के लिए गोली चलाई?

6. प्रभात वाले घटनाक्रम से सबक क्यों नहीं लिया गया?

7. दोनों तरफ से इस एनकाउंटर के दौरान कितने राउंड गोली चली?

8. जिस विकास दुबे ने खुद उज्जैन में चिल्ला चिल्लाकर मीडिया के सामने गिरफ्तारी दी थी. अचानक शुक्रवार की सुबह उसका मन कैसे बदल गया?

9. 24 घंटे में पुलिस की एक गाड़ी पंचर हुई और दूसरी गाड़ी पलटी

10. खुद सरेंडर करने वाला विकास दुबे क्यों एक हथियार लेकर भागने की कोशिश करेगा?

11. क्या विकास को हथकड़ी नहीं लगाई गई थी? ना बरती गई सावधानी

12. आखिर कानपुर आकर ही क्यों भागने लगा था विकास दुबे

13. क्या मुठभेड़ में सीने पर गोली मारी जाती है? क्या पुलिस का मकसद उसे रोकना नहीं, जान से मारना था

14. इस पूरे एनकाउंटर के बारे में पुलिस और एसटीएफ के अधिकारी और जवान बोलने से क्यों बच रही है?

कानपुर एनकाउंटर (Kanpur Encounter) में मारे गए कुख्यात अपराधी विकास दुबे (Vikas Dubey) के मामले में शुक्रवार को ही सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में एक जनहित याचिका दाखिल की गई थी. याचिका में यूपी पुलिस की भूमिका की जांच करने की मांग के साथ ही विकास दुबे का एनकाउंटर किए जाने की आशंका जाहिर की गई थी. सुप्रीम कोर्ट में ये याचिका वकील घनश्याम उपाध्याय ने दायर की थी. याचिकाकर्ता वकील ने इस संंबंध में आज ही मामले की सुनवाई करने के लिए कहा था लेकिन उससे पहले ही विका दुबे को एनकाउंटर में मार गिराया गया.

सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में वकील ने अपनी बात रखते हुए कहा था कि मीडिया रिपोर्ट से ऐसा लग रहा है कि विकास दुबे ने खुद महाकाल मंदिर के गार्ड को इस बात की जानकारी दी थी कि वह कानपुर का विकास दुबे है, जिसे पुलिस ढूंढ रही है. याचिका में बताया गया है कि विकास दुबे को पकड़ा नहीं गया है जबकि उसने एनकाउंटर से बचने के लिए खुद गिरफ्तारी दी है. यही नहीं याचिका में आशंका जताई गई थी कि यूपी पुलिस विकास का एनकाउंटर कर सकती है.

याचिका में इस मामले की जांच सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में सीबीआई से कराने की भी मांग की गई है. याचिका दाखिल करने वाले वकील ने कहा कि जिस तरह से यूपी पुलिस विकास दुबे के घर, शॉपिंग मॉल व गाड़ियों को तोड़ रही है उसको देखते हुए यूपी पुलिस पर भी एफआईआर दर्ज होनी चाहिए. याचिकाकर्ता ने कहा कि इस पूरे मामले की जांच के लिए एक समय सीमा तय की जाए, जिससे ये तय हो कि विकास दुबे का एनकाउंटर न किया जा सके और उसकी जान बचाई जा सके.

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