पश्चिम अफ्रीकी देश गिनी में मिला जानलेवा मारबर्ग वायरस का पहला केस, इसकी मृत्यु दर 88 प्रतिशत तक

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नई दिल्ली: कोरोना से जूझ रही दुनिया के सामने एक वायरस की चुनौती सामने आ रही है. विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने गिनी में Marburg virus के फैलने की जानकारी दी है. विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कहा है कि पश्चिमी अफ्रीका में यह अब तक का पहला मामला है. यह एक जानलेना वायरस है जो ईबोला संबंधित है और कोरोना की तरह जानवरों से इंसानों में आया है.

डब्ल्यूएचओ ने कहा कि यह वायरस चमगादड़ों से फैलता है और इसकी इसकी मृत्यु दर 88 प्रतिशत तक होती है. 2 अगस्त को दक्षिणी गुएकेडौ प्रान्त में एक मरीज की मौत हो गई. उसी के नमूनों में इस वायरस को पाया गया है. पोस्ट मार्टम रिपोर्ट में इस व्यक्ति में इबोला  नहीं मिला लेकिम मारबर्ग वायरस मिला.

अफ्रीका के डब्ल्यूएचओ के क्षेत्रीय निदेशक डॉ मात्शिदिसो मोएती ने कहा, “मारबर्ग वायरस को दूर-दूर तक फैलने से रोकने के लिए हमें इसे अपने ट्रैक में रोकने की जरूरत है.”

गिनि में Marburg virus का पता ऐसे समय में चला है जब दो महीने पहले ही डब्ल्यूएचओ ने यहां इबोला वायरस के खत्म होने का एलान किया है. पिछले साल यहां इबोला की शुरुआत हुई थी, जिसमें 12 लोगों की जान चली गई थी. वहीं इस वायरस के खतरे को लेकर डब्ल्यूएचओ ने कहा कि इसका खतरा क्षेत्रीय स्तर पर ज्यादा है कि और वैश्वित स्तर पर कम.

डब्ल्यूएचओ ने कहा कि मारबर्ग वायरस आमतौर पर उन गुफाओं या खानों में मौजूद होता है जहां रौसेटस चमगादड़ रहते हैं. डब्ल्यूएचओ के अनुसार जब एक बार कोई व्यक्ति इसके संपर्क में आ जाता है उसके बाद शारीर से निकलने वाले तरल पदार्थ,  दूषित सतहों और सामग्रियों के संपर्क में आने से फैलता है.

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